Shikha Arora

Add To collaction

लेखनी कहानी -19-Dec-2021 - माथे की बिंदी

माथे की बिंदी होती हर सुहागन की शान, 
माँ के माथे पर सोहे बन कुमकुम की पहचान |
सोलह श्रृंगार पूरा हो जाए माथे की बिंदी से, 
गहने चाहे पहने नारी सोने, चांदी या नीलम के |
गोल हो लंबी हो या कोई डिजाइनर हो बिंदी, 
हर नारी को सौंदर्यवान बनाती संसार में बिंदी |
नारी कैसी भी बड़ी या छोटी बिंदी यहाँ लगाएं, 
सजना के दिल को बिंदी बहुत ही लुभाएं |
मंदिर में हमें पंडित जी बिंदी जो लगाते, 
मन मस्तिष्क बिंदी टीके से शांत हो जाते |
माथे की बिंदी का महत्व होता बहुत जग में, 
अनिंद्रा भगाए, एकाग्रता बढ़ाएं माना विज्ञान ने | 
आँखों की मसल्स को मजबूत ये बनाती, 
सिरदर्द हटाएं, सुनने की क्षमता ये बढ़ाती |
माथा अगर छोटा हो छोटी लगाओं बिंदी, 
अगर बड़ा माथा हर आकार की सजाओ बिंदी |
रंग बिरंगी जगमग बिंदी मिले आज बाजार में , 
लाल रंग की बिंदी ही पहले होती थी प्रचलन में |
संस्कृति और संस्कार का मान होती है बिंदी , 
हिंदी भाषा के माथे पर भी सजी रहती हैं बिंदी ||


शिखा अरोरा (दिल्ली) 

   3
1 Comments

Shrishti pandey

19-Dec-2021 11:41 PM

Nice

Reply